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Friday, December 10, 2010

मुझे आज भी याद है


हाँ मुझे याद हे
जब में पंजी/दस्सी (५ पैसे, १० पैसे)
ज्यादातर इस्तेमाल करता था
कभी कभी बिस्सी/चवन्नी (२० पैसे, २५ पैसे)
और अगर अठन्नी (५० पैसे)
मिल जाते, तो मैं शेर
हो जाया करता था,
रुपया कहा मिलता था तब
जेब खर्च के लिए!
तब रुपया नही मिलता था,
और अब रूपये कि
कीमत ही नही रही!
मुझे मलाल हे कि
मैं रुपया इस्तेमाल नही कर पाया!
बिटिया डैरेक्ट ही १० रूपये से
कम नही मांगती!
क्या वक़्त इतना बदल गया हे
एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी
में आना , इतना महगा हो गया हे
मुझे इसका एहसास नही था बिलकुल भी,
मुझे याद हे जब में ५ वी में पढता था
तो दश्हेरे के मेले में जब जाता था
तब मेरे पास २ रूपये होते थे
मालूम हे कैसे
आठ चवन्निया होती थी
जो में इकठ्ठी करता था
काफी दिन पहले से
मेले के लिए!
और अब तो मेले में जाने कि
हिम्मत ही नही होती!
बिटिया को भी शोक नही हे
कहती हे वहा जाओगे तो ज्यादा
खर्च होगा, आप मेरे को
टू हंड्रेड दे देना,
देखता हूँ कि आज रुपया
कितना छोटा हो गया,
अब बाजार थैला नही ले जाना पड़ता
पोलिथीन में ही काफी रूपये
समां जाते हैं!
भगवान् जाने आगे क्या होगा!

11 comments:

उपेन्द्र नाथ said...

आलोक जी , बिल्कुल सही कहे . शायद अगली पीढ़ी का जेब खर्च हजार की नोट से शुरू हो..

प्रवीण पाण्डेय said...

बड़ा कष्ट होता है जब बच्चे कम से कम 100 रु मागते हैं।

रश्मि प्रभा... said...

pahle paise ki kimat thi, uska utsaah tha ... jane kitni chijon ka moh, laktho, mungfali , naankhataai...ab to jo bitiya maangti hai 200/ , uska bhi mol nahin...hazaaron hazaar bhi bemani

kshama said...

Ab kahan raha rupaye kaa mol??Badi samajhdaar hai aapki bitiya,jo kewal 10 mangti hai!

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

एक विचारणीय विषय ... पैसे का मूल्य खोता जा रहा है ...आज १७-१२-२०१० को आपकी यह रचना चर्चामंच में रखी है.. आप वहाँ अपने विचारों से अनुग्रहित कीजियेगा .. http://charchamanch.blogspot.com ..आपका शुक्रिया

Er. सत्यम शिवम said...

बहुत ही खुब लिखा है आपने......आभार....मेरा ब्लाग"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ जिस पर हर गुरुवार को रचना प्रकाशित नई रचना है "प्रभु तुमको तो आकर" साथ ही मेरी कविता हर सोमवार और शुक्रवार "हिन्दी साहित्य मंच" at www.hindisahityamanch.com पर प्रकाशित..........आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे..धन्यवाद

अनुपमा पाठक said...

sach hai...
ab mol na raha rupaye ka...!

Khare A said...

shukriya doston , aapke protsahan ke dil se abhaar, baise me koi kavi ya writer nhi hun, bas man me jo aata he use jaise bhi vyavasthit ya avyavasthit tarike aapke saamne pahucha deta hun... bas isi tarha pyar banaye rakhiye

bahut bahut abhaar

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

जी हमें तो अधन्ना भी याद है :):)

Khare A said...

JI MUJEH 1,2 3 KE SIKEK BHI YAD HAIN

SHUKRIYA sANGEETA DI

संजय भास्‍कर said...

बिल्कुल सही कहे .