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Tuesday, May 1, 2012

रिश्ते

Blog parivaar
रिश्ते कितनी जल्दी बन जाते हैं
क्य चाहिए आज इन रिश्तों को
सिर्फ़ एक अदना सा नाम!
तभी ये रिश्ते वक्त से पहले ही
रिसने से लगते हैं
क्योंकि ये वक्त कि कसौटी पर
कसे नहीं होते!
आज कल रिश्ते रेडीमेड से
होने लगे हैं!
"Use & थ्रू" कि फिलोसिफि पर
आधारित ये रिश्ते!
जब तक पसंद आए, निभाये
नहीं तो आगे चल भाये!

4 comments:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

क्योंकि ये वक्त कि कसौटी पर
कसे नहीं होते!
आज कल रिश्ते रेडीमेड से
होने लगे हैं!

बहुत सुंदर प्रस्तुति.....बेहतरीन रचना,...

MY RESENT POST .....आगे कोई मोड नही ....

प्रवीण पाण्डेय said...

जन्म के रिश्तों को सहेजना और नये बने रिश्तों को पल्लवित करने में ही जीवन निकल जाता है।

दिगम्बर नासवा said...

यूज एंड थ्रो ... कभी मैसे भी लिखी थी एक कविता इस विषय पे ...
आज रिश्ते रेडीमेड होने लगे हैं ...

Khare A said...

shukriya Aap sabhi ka!