115. साँसों का संकट
2 days ago
लिखने का शौक काफी पुराना हे, अपने स्कूलिंग के वक़्त से लिखने का चस्का पड़ गया था, फिर छूट गया, ४ साल पहले ऑरकुट से जुड़ना हुआ, इसके माध्यम से विभिन्न कम्युनिटी से जुड़ना हुआ, फिर से एक बार कीड़ा कुलबुलाया, सो लिखना फिर शुरू कर दिया, वाह-वाही मिलने लगी, तो हौसला बढ़ने लगा, लोगो की देखा देखि, ब्लॉग भी बना लिया, आप लोगो से अपनी सोच बाँट सकूँ, बस इसी उद्देश्य सा यहाँ हूँ , आपका प्यार ही मेरे लेखन की लाइफ लाइन हे. ...शुक्रिया
6 comments:
बहुत ही भावप्रणव रचना!
ममतामयी माँ को नमन!!
वो माँ है ,
उसका प्यार
अंत हीन प्यार
कभी ना भुलाने वाला!
माँ तुझे सलाम!
भावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति
MY RECENT POST ,...काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...
माँ तुझे सलाम ! अति सुन्दर रचना..
बहुत सुंदर.....................
माँ को सलाम....सिर्फ आज नहीं हर दिन.......
सादर.
बहुत सच कहा आपने..
वाह क्या बात कही है .. माँ एक पूरा पैकेज ... सच ही तो कहा है ...
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