बात शादी के पहले की है, जहाँ में रहता था रूम लेकर, मेरे रूम के आगे बालकनी थी और सड़क के उस पार सामने वाले मकान में एक कमसिन लड़की भी रहती थी! समय बीतता गया न जाने उस लड़की को कब हमसे इश्क़ हो गया ये हमें भी पता नही चला! काफी दिनों के बाद रविवार का दिन था, हम सो रहे थे तभी डोर पर नोक हुई, हमें उठकर दरबाजा खोला तो सामने एक लड़की खड़ी जो उसी सामने वाली लड़की की मित्र थी और उसी लेन में आगे रहती थी! मुस्कराते हुए उसने नमस्ते की, हम उसको अचानक अपने रूम पर देखकर घबरा गए, वो बोली अंदर आने के लिए नही कहेंगे? हमने घबराते हुए उनको अंदर आने के लिए कहा, हमारा दिल शताब्दी की स्पीड से भी तेज धक धक करने लगा! हम अपने भावों को कंट्रोल करने नाकाम कोशिश कर रहे थे! वो लड़की काफी तेज़ तर्रार दिख रही थी! शायद उसने हमारे चेहरे का उड़ा हुआ रंग देख लिया था, कहने लगी आलोक घबराओ नही, हमने हलके से मुस्कराते हुए कहा नही ऐसी कोई बात नही है! कहिये कैसे आना हुआ, बोली राधा तुमसे प्यार करती है, हमने थूक सटकते हुए पूछा कौन राधा? वो हंसने लगी और बोली बहुत होशियार हैं आप पिछले २ साल से मेरी फ्रेंड को फ़्लर्ट कर रहे हैं और आपको नाम भी नही पता! हमारा चेहरा पीला पड़ चूका था, पहला एक्सपीरियंस था जो इस तरह की सिचुएशन फेस कर रहा था! मैंने कहा यकीं मानिये मैं
किसी राधा को नही जानता! वो हंसने लगी, फिर बोली वो जो सामने वाले घर में रहती हैं मैं उसी की बात कर रही हूँ!
मुझे पहली बार उसका नाम मालूम पड़ा था! फिर हमने सोचा अब बोल्ड होना पड़ेगा वार्ना ये दोनों लडकिया मिलकर जलूस निकाल देंगी! मैंने साहस बटोर कर उसको कहा "नीता जी" यही उस
लड़की
का नाम था जो उसने आने के बाद बतलाया था! ऐसी कोई बात नही है, एक हाथ से
ताली नही बजती, मेरा उस लड़की में कोई इंटरेस्ट नही है ये बात आप उसको बोल
देना ! बो बोली ऐसा कैसे हो सकता है वो तुम्हे बहुत चाहती है , मैंने कहा
ये सब एक तरफ़ा है मैं उसको नही चाहता प्लीज आप समझने की कोशिश करो! नीता
बोली कैसे लड़के हो तुम एक लड़की ऑफर दे रही है और तुम मना कर रहे हो! मैंने कहा जो भी समझो तुम लेकिन ये सच्चाई है!
इतनी देर बात करने के बाद मुझमे बहतु कॉन्फिडेंस आ चुका था, दिल की धड़कन अब समान्य हो चुकी थी! और मन में कई सवाल आ जा रहे थे की यार इस सिचुएशन से कैसे छुटकारा पाया जाये! इसी बीच नीता ने मुझसे सवाल किया क्या तुम्हारी लाइफ में कोई और लड़की है?
बस इतना सुनते ही जैसे मुझे मेरे सवालों का जवाब मिल गया हो , मैंने
तुरंत कहा हाँ है, बोली कौन? पता नही मुझे क्या सुझा मैंने तुरंत कहा,
तुम्हारा क्या ख़याल है मेरे बारे में, नीता को शायद मेरे इस बाउंसर की उम्मीद नही थी, अब सकपकाने की बारी उसकी थी, बोली ऐसा कैसे सकता है लेकिन मै तो आपको चाहती ही नही, मैंने कहा उससे क्या मैं तो आपको चाहता हूँ जैसे आपकी मित्र मुझे चाहती है लेकिन मैं उसको नही चाहता! उसको मेरी बात समझ आ गयी और वो मुस्कराते हुए वह वहां से चली गयी! फिर हमने उसी दौरान ये शेर लिखा !
या तो बेअसर हैं तीरे नज़र उसके
"आलोक"
1 comment:
विचारों की सुंदर अभिव्यक्ति।।।
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