ये बाल हमने ऐसी ही सफ़ेद नही किये हैं
ये बाल हमने ऐसी (AC) में बैठ कर सफ़ेद किये हैं
लेकिन तुमने तो अपने बाल धूप मैं सफ़ेद किये हैं
फिर भी मेरा तजुर्बा तुम्हारे तजुर्बे से ज्यादा है
पता है क्यूँ, क्यूँ कि में तुमसे ज्यादा पढ़ा लिखा हूँ (शायद)
तुम्हारा तजुर्बा प्रक्टिकल है
और मेरा ओन द टेबल है
तुम कितना भी घूम-फिर लो,
कितनी भी हकीकत बयां कर दो
लेकिन मेरे पास आते ही, सब कुछ बेकार है,
क्यूंकि तुम बिना कार के, और मेरे पास कार है
वो भी सरकारी, लाल -पीली बत्ती वाली
इसीलिए तो तुम्हरे हर तर्क पर
में तुमसे लाल-पिला होता रहता हूँ
तुम भावनाओ को समझो
में सरकारी अफसर हूँ
मुझे सिर्फ एक ही बात समझ आती है
मेरी नजर तुम्हारी पॉकेट पर जाती है
क्या तुम्हारी समझ में ये बात आती है
अपनी पॉकेट का वजन हलका करो
अर्क-मेडीस के सिधांत को फालो करो
और अपने काम कि नाव को
इस गंदे नाले से बहार ले जाओ
हम भी मौज करे,
तुम दुखी होकर मौज मनाओ
पड़ोसिओं को भी यही रास्ता दिखलाओ
Wednesday, March 17, 2010
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4 comments:
तुम कितना भी घूम-फिर लो,
कितनी भी हकीकत बयां कर दो
लेकिन मेरे पास आते ही, सब कुछ बेकार है,
क्यूंकि तुम बिना कार के, और मेरे पास कार है
LAJWAAB PANKTIYA...SIR JI...
MAAN GAYE..
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
achchhi vyang rachna....badhai
SHUKRIY ADOSTON AAP SABHI KA
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