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Saturday, August 14, 2010

ये कैसी आज़ादी....................

आज़ादी मोडर्न इंडिया

का सबसे भद्दा मजाक

जो हम करते चले आ रहे है

पिछले ६२ साल से

मेने अंग्रेजो का शासन नही देखा,

लोग कहते हे कि हम उस वक़्त

गुलाम थे "अंग्रेजों के"

अब किसके गुलाम हे

गुलामी कहना तो ठीक नही है

हाँ, अपनों से ही ठगे जा रहे हैं हम!

मेने सुना था अंग्रेजों के शासन में

किसी को कुछ भी बोलने कि आज़ादी नही थी

लेकिन अब हे, हम कुछ भी बोल सकते हैं

लेकिन क्या उसका किसी को कोई फर्क पड़ता हे

नही , नही पड़ता, आप चिल्लाइये , रोईये ,

गिड़गिड़ाइए कुछ भी करिए,

यहाँ तक कि आत्महत्या करिए

किसी को कोई भी फर्क नही पड़ता

मेरे हिसाब से हमको आज़ादी बस इसी

बात कि मिली हे, कि आप प्रदर्शन

धरना या आत्महत्या कुछ भी कर सकते हैं

किसी भी राजनेता/अफसर को गाली दे सकते हैं

जो शायद उस वक़्त नही था

ये आज़ादी हमको मिली हे

जी हाँ बस यही आज़ादी मिली हे

आप कहते हे कि हम आज़ाद हैं

खुशिया मनाओ, कि पहले

हमें अंग्रेज लूट रहे थे

अब हमें अपने ही चुनिन्दा लोग

लूट रहे हे!,

हमें बस लुटना हे,

लूटने वाले कौन हे

अगर वो अंग्रेज हे

तो हम गुलाम कहलायेंगे

अगर वो हिन्दुस्तानी हे

तो हम आज़ाद गुलाम कहलायेंगे

अगर इसीका नाम आज़ादी हे

तो आप खुश होइए,

में आपकी ख़ुशी में शामिल नही

जिस दिन हमें इन अपने घर वाले

लुटेरों से आज़ादी मिल जाएगी

तब जाकर हम आज़ाद होंगे

किस खुशफ़हमी में आप जी रहे हैं

अगर आज़ादी का मतलब तिरंगा हे

कम से कम उसका तो अपमान न करो

यूँ लालकिले पर फेह्राकर लुटेरों के हाथों

उसे सरेआम न करो

ये कैसी आज़ादी हे

बताइए ना!

1 comment:

अनामिका की सदायें ...... said...

सच लिखा आपने.
सटीक रचना.