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Wednesday, February 2, 2011

"बस ये मत पूछना कि क्यूँ लिखा"



जाने वाला तो चला गया

वो किसी ने नही पूछा

क्यूँ चला गया, क्या हुआ ऐसा!

हाँ कई कविताएँ जरूर लिख दी

अपनी अपनी समझ के साथ

कोई कहता कि गाँधी जी के

बाद भी देश चल रहा हे

कोई न जाने कहा से किसी कि

लिखी हुई कविता पोस्ट कर

'अपनी भड़ास निकल रहा हे

अरे इतनी ऊर्जा ये जानने में

लगायी होती कि वो क्यूँ गया

तो न बात बनती!

जाने वाले को भी लगता कि

उसके चाहने वाले भी हैं यहाँ

लेकिन नही,

अपनी ढपली अपना राग,

अलापते रहो, भाई लोगो

अरे घरों में मौत भी होती हे

लोग रोते-बिलखते हैं

कुछ दिन ऐसा ही रहता हे

फिर जिन्दगी बापिस पटरी पर

लौटने लगती हे!

धीरे धीरे सब सामान्य हो जाता हे!

फिर क्यूँ ये कविताएँ लिखी जा रही हे

उसी बात को लेकर, जाने वाला ये

सोच कर नही गया, कि

उसकें जाने के बाद

ये होगा या वो होगा,

ऐसा कोई भी नही सोचता

उसकी ख़ामोशी को ,

उसकी कमजोरी न समझो,

वो चला गया , उसको जाने दो

क्यूँ इतना चर्चा, इस जाने जहाँ मैं

किसलिए, किसके लिए!

अब बस भी करो, बहुत हो चूका!

7 comments:

रश्मि प्रभा... said...

baaton se jo ub hui hai, wah shabdon me spasht hai... sahaj swabhawik

shikha varshney said...

दर्द झलक रहा है ...

वाणी गीत said...

सचमुच इस जबानी जमा खर्च से उकताहट होने लगती है !

प्रवीण पाण्डेय said...

जो उपस्थित न हो, उसको क्यों कोसना।

उपेन्द्र नाथ said...

अलोक जी, अब साल भर बाद ही ये दिखावे शुरू होंगे...............अफसोस तो यही है की सच में अगर उनके आदर्श याद किये गये होते न की दिखावे के लिये.

Roshi said...

sunder prastuti

Khare A said...

aap sabhi ka dil se abhaar