"अहम्" किस बात का
ये शब्द कुछ तथा-कथित
बुधि-जीवी लोगो द्वारा अकसर ही
कहते या बखानते सुना
जाता हे!
लेकिन खुद के "मैं"
में डूबी हुई उनकी "अहम्"
कि परिभाषा,
सब कुछ साफ़ कर देती हे
और दिखा देती हे हकीकत
का आइना!
उठी हुई वो इक ऊँगली
दूसरों कि तरफ,
बाकि कि किधर!
ये शब्द कुछ तथा-कथित
बुधि-जीवी लोगो द्वारा अकसर ही
कहते या बखानते सुना
जाता हे!
लेकिन खुद के "मैं"
में डूबी हुई उनकी "अहम्"
कि परिभाषा,
सब कुछ साफ़ कर देती हे
और दिखा देती हे हकीकत
का आइना!
उठी हुई वो इक ऊँगली
दूसरों कि तरफ,
बाकि कि किधर!
15 comments:
सच कहा, बाकी किधर है।
लेकिन खुद के "मैं"
में डूबी हुई उनकी "अहम्"
कि परिभाषा,
सब कुछ साफ़ कर देती हे
और दिखा देती हे हकीकत
का आइना!
bilkul sahi... kafi kareeb se mahsoos kiya hai, meri bhi yahi ray hai
Manpreet ji shukriya
i m unable to psot any comment on ur blog post, some problm is there, pl re set setting!
thnx Praveen ji
thnx Rashmi di,
sach me bahut pyari see rachna......
sach me bahut pyari see rachna......
shukriya Sinha Sahib
bahut achha likha hai ....
प्रशंसनीय.........लेखन के लिए बधाई।
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"हर तरफ फागुनी कलेवर हैं।
फूल धरती के नए जेवर हैं॥
कोई कहता है, बाबा बाबा हैं-
कोई कहता है बाबा देवर है॥"
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क्या फागुन की फगुनाई है।
डाली - डाली बौराई है॥
हर ओर सृष्टि मादकता की-
कर रही मुफ़्त सप्लाई है॥
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होली के अवसर पर हार्दिक मंगलकामनाएं।
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
बहुत सुन्दर प्रस्तुति|
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ|
tnx Rajni ji
shukriya Dr.Danda Lko ji
thnx Patali te-village
sach me bahut pyari see rachna......
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