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Tuesday, March 15, 2011

बाकि कि किधर...................


"अहम्" किस बात का
ये शब्द कुछ तथा-कथित
बुधि-जीवी लोगो द्वारा अकसर ही
कहते या बखानते सुना
जाता हे!
लेकिन खुद के "मैं"
में डूबी हुई उनकी "अहम्"
कि परिभाषा,
सब कुछ साफ़ कर देती हे
और दिखा देती हे हकीकत
का आइना!
उठी हुई वो इक ऊँगली
दूसरों कि तरफ,
बाकि कि किधर!

15 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सच कहा, बाकी किधर है।

रश्मि प्रभा... said...

लेकिन खुद के "मैं"
में डूबी हुई उनकी "अहम्"
कि परिभाषा,
सब कुछ साफ़ कर देती हे
और दिखा देती हे हकीकत
का आइना!
bilkul sahi... kafi kareeb se mahsoos kiya hai, meri bhi yahi ray hai

Khare A said...

Manpreet ji shukriya

i m unable to psot any comment on ur blog post, some problm is there, pl re set setting!

Khare A said...

thnx Praveen ji

Khare A said...

thnx Rashmi di,

मुकेश कुमार सिन्हा said...

sach me bahut pyari see rachna......

मुकेश कुमार सिन्हा said...

sach me bahut pyari see rachna......

Khare A said...

shukriya Sinha Sahib

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) said...

bahut achha likha hai ....

डॉ० डंडा लखनवी said...

प्रशंसनीय.........लेखन के लिए बधाई।
===================
"हर तरफ फागुनी कलेवर हैं।
फूल धरती के नए जेवर हैं॥
कोई कहता है, बाबा बाबा हैं-
कोई कहता है बाबा देवर है॥"
====================
क्या फागुन की फगुनाई है।
डाली - डाली बौराई है॥
हर ओर सृष्टि मादकता की-
कर रही मुफ़्त सप्लाई है॥
=============================
होली के अवसर पर हार्दिक मंगलकामनाएं।
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति|

होली की हार्दिक शुभकामनाएँ|

Khare A said...

tnx Rajni ji

Khare A said...

shukriya Dr.Danda Lko ji

Khare A said...

thnx Patali te-village

Skidmorewzam said...

sach me bahut pyari see rachna......