115. साँसों का संकट
1 day ago
लिखने का शौक काफी पुराना हे, अपने स्कूलिंग के वक़्त से लिखने का चस्का पड़ गया था, फिर छूट गया, ४ साल पहले ऑरकुट से जुड़ना हुआ, इसके माध्यम से विभिन्न कम्युनिटी से जुड़ना हुआ, फिर से एक बार कीड़ा कुलबुलाया, सो लिखना फिर शुरू कर दिया, वाह-वाही मिलने लगी, तो हौसला बढ़ने लगा, लोगो की देखा देखि, ब्लॉग भी बना लिया, आप लोगो से अपनी सोच बाँट सकूँ, बस इसी उद्देश्य सा यहाँ हूँ , आपका प्यार ही मेरे लेखन की लाइफ लाइन हे. ...शुक्रिया
7 comments:
रिश्तों की अहमियत अब गुजरे हव वक़्त सी लगती है ..भावुक रचना गहरी अभिव्यक्ति
shukriya RAnju ji!
दमदार झटका दिया है, अपने अन्दाज में।
रिश्तों की सच्चाई खोल के लिख दिया है ... आज का कडुआ सच है ये ...
thank you very much'
प्रभावशाली प्रस्तुति
shurkiay kaushik ji , sabhi mitron ka abhaar
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